मुस्कान बांधे जा रही है
तेरी मुस्कान बांधे जा रही है , हमें ………..
जिंदगी की डोर बनकर
रंगीन सुतली की तरह,
लिबास की बैल्ट समझ ले
या फिर आजकल का इलास्टिक
रम गई है उस तरह तू
जिस तरह से जिंदगी में
घुलमिल गया है प्लास्टिक,
………. डा0 सतीश पाण्डेय, चम्पावत
बहुत खूब, कवि सतीश जी की लाजवाब अभिव्यक्ति
बहुत सुन्दर प्रस्तुति
सुंदर
अतिसुंदर अभिव्यक्ति