मेरी बेटी….
मेरी बेटी।
छोटी सी गुड़िया,
कभी हंसती, कभी रोती।
तो कभी रुलाती,
तो कभी हंसाती।
मेरी बेटी।
अभी सीखा है, उसने
शब्दों से खेलना।
भाता है उसे,
एक ही सार में,
स्वर और व्यंजनों को गाना।
मेरी बेटी।
कोमल पंखुड़ी से होंठ,
और आंखों में शरारत।
चुरा लेता है, मेरा मन।
जब रोती है,
कह जाती है,
मुझे अम्मा।
यह छू जाता है,
मेरे मन को।
जी चाहता है,
छुपा लूं कहीं।
इस दुनिया से दूर,
मेरी बेटी…
मेरी बेटी…
अतिसुंदर
धन्यवाद सर
Bahut sundar
धन्यवाद
प्यारी गुड़िया
Ji thank you