राखी का त्यौहार
सूना जाए राखी का त्यौहार,
राखी भेजी है, डाक से इस बार
ना भैया मिलें, ना भाभी मिलें,
ना मिले मां पापा का प्यार।
ना भतीजी, भतीजे के मुख पे खुशियां मै देखूं,
ना कर पाऊंगी उनको मैं दुलार।
अनमनी सी हो रही हूं मैं तो,
सूने सूने से होंगे सारे त्यौहार।
बहुत खूब, राखी के पावन पर्व से जुड़ी समसामयिक कविता
बहुत बहुत धन्यवाद जी🙏
सुन्दर प्रस्तुति
बहुत बहुत धन्यवाद 🙏
बहुत ही अच्छी
धन्यवाद सुमन जी🙏
सुन्दर प्रस्तुति
बहुत बहुत धन्यवाद 🙏
सभी भाई बहनों के कष्ट समझने के लिए धन्यवाद 🙏अभिषेक जी
क्या करें कोरोना काल में ये सब तो सहना ही होगा
Is baar Mere bahut Sare bhai bahanon ke sath yahi ho raha hai vah Rakshabandhan per Apne Ghar per Nahin Aata rahe hain na mahamari ke prakop Ke Karan
सच कहा आपने
सुंदर
बहुत बहुत धन्यवाद 🙏
Waah
धन्यवाद कमला जी
Atisundar
धन्यवाद पीयूष जी