वक्त का घोड़ा
दिन गुजर जाता है
सदा सुबह शाम वाला।
वक्त का घोड़ा अगर
होता लगाम वाला।।
कोई कहीं भी इसको
सशक्ति खींच लेता।
चाबुक भला क्यों न मारे
हिलने नहीं वो देता।।
पल भर कहीं न रुकता
चलता सदा हीं जाता।
जो पीठ पर है बैठा
मंजिल वही तो पाता।।
क्षण एक न गवाओ
आलस में विनयचंद।
वरना ये द्वारे कामयाबी
हो जाएगें एकदम बंद।।
Bahut khub
Dhanywad
Bahut achey
nice
Nice
वाह