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शायरी संग्रह भाग 2 ।।
हमने वहीं लिखा, जो हमने देखा, समझा, जाना, हमपे बीता ।। शायर विकास कुमार 1. खामोश थे, खामोश हैं और खामोश ही रहेंगे तेरी जहां…
दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34
जो तुम चिर प्रतीक्षित सहचर मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष तुम्हे होगा निश्चय ही प्रियकर बात बताता हूँ। तुमसे पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…
मुझे याद रहा, तुम भूल गए ……
मुझे याद रहा, तुम भूल गए कहने को दो दिल चार आँखे हम, थी एक रूह में बस्ती जान हमारी कहने को दिया और बाती हम, थी बस लौ ही पहचान हमारी मदमस्त हवाओं के झोंकों से, थे लहराते गाते जज़्बात हमारे, उतार सजाया आस्मानो में, थे सपने जो जनमें पलकों तले हमारे कुछ यूँ खाईं थी क़समें हमने, हर हाल में प्यार निभाएँगे मिल पाए तो ज़िन्दा हैं, ना मिल पाए तो यादों में निभाएँगे हुए गर तन से ज़ुदा तो क्या, ज़ुदा ना मन से कभी हो पाएँगे गर साँसें छोड़ जाएँ साथ तो क्या, जन्मो का साथ निभाएँगे बरसों से हम उसी मोड़ पे अटके, राह जहां से तुम बदल गए मोहब्बत को नए मायने दे कर,…
जो आत्मनिर्भर है
1 जो आत्मनिर्भर है, उन्हें आत्मसम्मान की शिक्षा दे रही हैं क्यूँ हमारी सरकार? मजदुर अपने बलबूते पर ही जिन्दगी जीते, ये जाने ले हमारी…
दिल मे क्या दर्द है
दिल मे क्या दर्द है बताऊं क्या बोलो सहारा दोगे दिखाऊँ क्या।। आंखों में सन्नाटा नही ये आग है बोलो बुझाओगे करीब आऊं क्या।। तन्हाइयां…
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