Categories: हिन्दी-उर्दू कविता
Related Articles
मैने -हर रोज जमाने को रंग बदलते देखा
मैने हर रोज जमाने को रंग बदलते देखा, पैसे के लिए आदमी को बदलते देखा। वो जो चलती थी, झनझनाहट की होती अवाज, आज उनकी…
शायरी संग्रह भाग 2 ।।
हमने वहीं लिखा, जो हमने देखा, समझा, जाना, हमपे बीता ।। शायर विकास कुमार 1. खामोश थे, खामोश हैं और खामोश ही रहेंगे तेरी जहां…
मेरे मोहल्ले में स्कूल खुलने दो
मेरे मोहल्ले में न मंदिर बनाओ … न मस्ज़िद बनाओ यदि बनाना ही है तो एक स्कूल बनाओ मेरे मोहल्ले में न गीता का…
शायरी संग्रह भाग 1
मुहब्बत हो गयी है गम से, खुशियाँ अच्छी नहीं लगती। पहले दुश्मन मुहब्बत करते थे, अब दोस्त नफरत करते हैं।।1।। विकास कुमार कमति.. बदलते…
दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34
जो तुम चिर प्रतीक्षित सहचर मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष तुम्हे होगा निश्चय ही प्रियकर बात बताता हूँ। तुमसे पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…
वाह
धन्यवाद
वाह बहुत सुंदर