Categories: हिन्दी-उर्दू कविता
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…….गुज़र जाएगा…..
( दुनियां ) एक सोच में डूबी हूँ क्या करूँ और किस काम को छोड़ दूं…. महाकाल , भयावह काल , कोरोना काल का यह…
मोर रंग दे बसंती चोला, दाई रंग दे बसंती चोला
ये माटी के खातिर होगे, वीर नारायण बलिदानी जी। ये माटी के खातिर मिट गे , गुर बालक दास ज्ञानी जी॥ आज उही माटी ह…
दहेज़
उम्र भर पिता ने जो, पाई पाई रखा था सहेज। बिटिया के ब्याह में, आज वह दे दिया दहेज।। ब्याह में लिए कर्ज का चुका…
एक सावन ऐसा भी (कहानी)
किसी ने कहा है कि प्रेम की कोई जात नहीं होती, कोई मजहब नहीं होता ।मगर हर किसी की समझ में कहां आती है…
शायरी संग्रह भाग 2 ।।
हमने वहीं लिखा, जो हमने देखा, समझा, जाना, हमपे बीता ।। शायर विकास कुमार 1. खामोश थे, खामोश हैं और खामोश ही रहेंगे तेरी जहां…
व्यंग का प्रशंसनीय प्रयास।👍
हार्दिक धन्यवाद
Wow!!❤
Thank you so much
Good thought
Thank you
वाह वाह
धन्यवाद
लक्षणा शब्द शक्ति का बहुत सुंदर प्रयोग
विवाहित दोस्तों को -गीदड़
जो अभी तक कुंवारा है दूल्हे के लिए- शेर
बहुत सुंदर प्रतीकों का प्रयोग
अगर भाव की बात करें तो दो पंक्तियों में बात पूरी हो जाती है
हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई ,सबको ठीक करें लुगाई😁😊😁👏👏
इससे अच्छी समीक्षा शायद ही कोई करें ,धन्यवाद सर
बढ़िया जी
Thank you