सुलह की बात करने पर
सुलह की बात करने पर
न समझो डर गए हैं हम
बस यही चाहते हैं दूरियां
हो जायें थोड़ी कम।
सुलह की बात करने पर
न समझो डर गए हैं हम
बस यही चाहते हैं दूरियां
हो जायें थोड़ी कम।
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वाह वाह बहुत खूब पाण्डेय जी
बहुत खूब बहुत सुन्दर
वाह वाह अतिसुन्दर
अतिसुंदर
लाजवाब✍
कवि की श्रेष्ठ भावनाएं ।