Categories: हिन्दी-उर्दू कविता
Tags: शायरी

UE Vijay Sharma
Poet, Film Screenplay Writer, Storyteller, Song Lyricist, Fiction Writer, Painter - Oil On Canvas, Management Writer, Engineer
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तुम्हारे बिना..
सूनी-सूनी सी फ़िज़ाऍं हैं, सूनी सी सब दिशाऍं हैं। आप नहीं हैं मेरी ज़िन्दगी में अगर, सूनी-सूनी सी लगती है ड़गर। हमें ही हमारी नहीं…
सूनी सूनी रातों में
सूनी सूनी रातों में कभी कोई दस्तक दे जाता है मेरे दिल के दरवाजे पर… कभी कोईे चेहरा नहीं दिखता बस आहट होती है हल्की…
कभी कभी, तुम राहें भूल कर…! (गीत )
कभी कभी, तुम राहें भूल कर……! (गीत ) कभी कभी, तुम राहें भूल कर, मेरी गलियों मे आया करो…. कभी कभी तुम ख़ुद को …
हर एक की सूनी नज़र है
सुनने को कर्ण यह तरस गये कहां अब कोई अच्छी ख़बर है वेवसी का आलम है यह कैसा पल यह कैसा,हर एक की सूनी नज़र…
चौराहा
चौराहा बीच चार राहों के , वोह मुकाम , रुक कर जहां, एक राह चुनता इंसान . ऐसे कितने चौराहों से, गुजरती जिंदगी़ ,…
वाह बहुत सुंदर