हिन्दी गजल- दिल की किताब |

हिन्दी गजल- दिल की किताब |
दिल की किताब तेरी पढ़ लूँ तो क्या होगा |
बिन कहे बात तेरी जान लूँ तो क्या होगा |
जितना चाहो छिपा लो छिपा ना सकोगे |
भाषा तेरी आंखो समझ लूँ तो क्या होगा |
तू मेरे सामने रहे न रहे तुझे पहचान लूँगा |
हवाओ गंध तेरी मै सूंघ लूँ तो क्या होगा |
तू गम सहे मुझे मालूम न हो नामुमकिन |
गम सारे तेरे अगर छिन लूँ तो क्या होगा |
कुछ कहे न कहे राज फिजाँ बता देगी |
तेरे लब्ज जुबां बयां कर लूँ तो क्या होगा |
दो जिस्म समझने की भूल हमे न करना |
तू मुझमे मै तुझमे समां लूँ तो क्या होगा |
जुदा होना चाहे जुदा हो ना पाएगा मुझसे |
तेरी तन्हाई तेरे रूबरू हो लूँ तो क्या होगा |
जाना है जहा छोड़ मुझे जाकर देख लो |
तुझे बाहो आगोस खींच लूँ तो क्या होगा |
मेरे बेगैर तू नहीं मेरे बिना तू नही मान लो |
तुझे मेरे दिल आंखो बसा लूँ तो क्या होगा |
श्याम कुँवर भारती [राजभर]
कवि ,लेखक ,गीतकार ,समाजसेवी ,
मोब /वाहत्सप्प्स -9955509286
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