ख़ुशी जिसे कहते हैं
ख़ुशी जिसे कहते हैं, वो चीज ढूंढता हूँ
गैरों की इस दुनिया में अपनों को ढूंढता हूँ
अकेला तो न था पहले कभी इतना
साथ चले थे जो उन क़दमों को ढूंढता हूँ
ख़ुशी जिसे कहते हैं, वो चीज ढूंढता हूँ
वक़्त बदला, लोग बदले, तुम बदले, और मैं…
जो संभाल कर रखी थी यादें
उन यादों की टूटी हुई मालाओं के मोती ढूंढता हूँ
गैरों की इस दुनिया में अपनों को ढूंढता हूँ
ख़ुशी जिसे कहते हैं वो चीज ढूंढता हूँ
मुसीबतों की तपती धुप में मैं बंजारा सा
पल दो पल की छावँ ढूंढता हूँ
बांतों में बात, हाथों में हाथ और
जो मिटगई इन हाथों से वो लकीरें ढूंढता हूँ
ख़ुशी जिसे कहते हैं, वो चीज ढूंढता हूँ
दुःख तो है पर दुखी नही हूँ
खुश भी नही, नाखुश भी नही
जो होगया वो क्यों हुआ बस इसकी वजह ढूंढता हूँ
गैरों की इस दुनिया में अपनों को ढूंढता हूँ
ख़ुशी जिसे कहते हैं, वो चीज ढूंढता हूँ
nice
bahut khoob
wah
Good