ज़िन्दगी ना थी – 7

ज़िन्दगी ना  थी कुछ हमारी,

जैसी तुम्हारी

आस्मानी अरमानो के ना थे पंख हमारे,

जैसे तुम्हारे

Related Articles

नारी वर्णन

मयखाने में साक़ी जैसी दीपक में बाती जैसी नयनो में फैले काजल सी बगिया में अमराई जैसी बरगद की शीतल छाया-सी बसन्त शोभित सुरभी जैसी…

नज़र ..

प्रेम  होता  दिलों  से  है फंसती  नज़र , एक तुम्हारी नज़र , एक हमारी नज़र, जब तुम आई नज़र , जब मैं आया नज़र, फिर…

Responses

New Report

Close