अति साहसी, मायादेवी है जिनके व्यवहार ।।

अति साहसी, मायादेवी, मूर्ख, लोभी जिनके व्यवहार।
अपवित्र, निर्दयी, अवगुणों से भरा जिनका तन।
छल-कपट से जो बाज न आये, यह है दुष्ट-निर्दयी स्त्री का गुण।
पर सब नारी नहीं होत, इन अवगुणों के अधीन।
युग-युग हर युग में जन्म लिये है, ये है नारी समाज का आदर्श है।
जिनके नाम हैः- सतरूपा, अनुसूईया, सावित्री, अहल्या, सीता,
मन्दोदरी,तारा, कुन्ती, द्रौपदी व झाँसी की रानी महान।
इन्हीं नाम में आता है पंचकन्याओं का नाम ।
जिनके नाम लेने से मिट जाते है नर का सभी अभिमान।
जो नर जपे उर में (से) पंचकन्याओं का नाम।
वो शीघ्र पा जाते है इन्द्रियों पे अधिकार ।
जो नर समझें नारियों को अपनी मा-बहन।
वो नहीं फँसते कभी इन्द्रियों के वश।।
पंचकन्याओं में आता अहल्या, मन्दोदरी, तारा, सीता, कुन्ती व द्रौपदी का नाम ।
जिनके नाम है सभी नारियों में सबसे महान ।।
कवि विकास कुमार ।।

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