अपनों में बेगाना
मैंने तुझे जितना समझाया
तू क्यों उतना बिफरता गया
तुझे राह सच की दिखाई जो
तू क्यों फिर भी बिगड़ता गया
तुझे सुलझाने की कोशिश की
तू क्यों उतना उलझता ही गया
क्या वजह है तेरी नाराज़गी की
जो जुदा तू सबसे यूँ होता गया
आ अपने दिल की बात कहले
अब अपनों में ना रह यूँ गुमशुदा
©अनीता शर्मा
अभिव्यक्ति बस दिल से
वाह
Thank you🙏🏼
वेलकम
👍👍👏👏
🙏🏼😊
अच्छी कविता
Shukriya sir🙏🏼
वाह जी वाह
Good