आज तूफानों से कह दो
आज तूफानों से कह दो
आप भी पीछे रहो मत,
धूल तो उड़ ही रही है,
आप यूँ शरमाओ मत।
हम हवा के हल्के झोकों
से नहीं घबराते हैं,
यदि स्वयं तूफान आये
तब भी हम भिड़ जाते हैं।
नींद में भी होश रखते हैं,
संभल जाते हैं हम,
आप तूफानों से कह दो,
इस समय जागे हैं हम।
Very very nice poem
कवि सतीश जी की तूफ़ानों से सामना करने की बहुत ही सुन्दर कविता , परेशानियों में उत्साह वर्धन करती हुई वीर रस से सुसज्जित
बहुत सुंदर प्रस्तुति
Beautiful poem
बहुत ही सुंदर कविता
बहुत ही बढ़िया कविता