आप सदा यूॅं ही मुस्काऍं
आपकी मुस्कान से,
नयनों के दीप रौशन हुए।
महक उठा ऑंखों का काजल,
मुस्कुरा उठे लब मेरे।
मुझसे जुदा होने की बातें,
न करना कभी हमदम।
जुदा होकर आपसे ,
जी कर क्या करेंगे हम।
रब से है यही दुआऍं,
आप सदा यूॅं ही मुस्काऍं॥
____✍गीता
रब से है यही दुआऍं,
आप सदा यूॅं ही मुस्काऍं॥
—- बहुत ही सुकोमल, लाजवाब और उच्चस्तरीय कविता। भाव प्रधान कविता शिल्प सहित अति उत्तम है।
इस सुन्दर और उत्साहवर्धक समीक्षा के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद सतीश जी ,हार्दिक आभार।
आप सदा यूं ही मुस्कुराए गीता जी
सुंदर प्रस्तुति
बहुत-बहुत धन्यवाद अमिता जी, हार्दिक आभार आप भी सदा यूं ही मुस्कुराती रहें
अतिसुंदर भाव