इश्क्याबी:इश्क में कामयाबी
तुमसे कहने थे जो शब्द,
आज भी आधार पर अटके हैं
वो तुम्हारे दिए फूल आज भी,
सहज कर रखते हैं
और तुम कहती थी..
तुम कहते वादा करो मुझसे,
ना छोड़ोगे कभी मुझे तुम
और देखो हम आज भी वो वादा
याद रखते हैं।
सुनो गर जो जान चली जाए,
तो भी वही सब कहना है।
सुनो भले ही जिंदगी न रहे,
मुझे कब्र में नहीं,
तब भी तुम्हारे दिल में रहना है।
तुम्हारे नखरे, तुम्हारी अदा, तुम्हारा दांतना, तुम्हारा गुस्सा…
हमेशा सब सुन्ना है, हमेशा सब सहना है
और “हमेशा” हर आशिक बस कहता है,
मुझे “हमेशा” सबित करना है।
और ना जाने क्यू..इश्क में कामयाब नहीं हो पाते हैं लोग,
हमें तुम्हारे साथ इश्क्याबी (इश्क में कामयाबी) हासिल करना है..
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