उठ तू जगा विवेक (कुंडलिया)
माफी तो मजबूत का, गुण होता है नेक,
कमजोरों की मदद को, उठ तू जगा विवेक।
उठ तू जगा विवेक, दिखा मत नाड़ी का बल,
यह बल हो कमजोर, तुझे फिर रौंद न दे कल।
कहे लेखनी समय, समय की बातें साथी,
किसी को दो माफी, किसी से मांगो माफी।
अति सुंदर रचना
छंद शैली में कवि सतीश जी की, बहुत सुंदर रचना
सुन्दर रचना
बहुत सुंदर छंद रचना
बहुत खूब