एक कोशिश बिना मोमबत्ती बुझाए जन्मदिन मनाने की(२)
सगे संबंधियों को भी बुलाते हैं
केक काटने से पहले मोमबत्ती भी बुझाते हैं
पर यह क्या ??
जिस कुलदीपक और घर की लक्ष्मी की खातिर
मंदिरों में दिए जलाते हैं
जिन के खातिर पूजा में आरती के हम थाल सजाते हैं
हम नये फ़ैशन मे जलती हुई मोमबत्तियाँ बुझवाते है
बुझा कर हम उस मोमबत्ती को यह कैसी रस्म निभाते हैं ??
भूल कर अपने रीति रिवाजो को
विदेशी फैशन क्यूं अपनाते हैं??
आओ एक कोशिश करें
मोमबत्तियां ना बुझाएं
मोमबत्तियाँ भी जलने दे ,
उन्हें अलग थाल में सजायें
बिना बुझाये मोमबत्तियों को
अपने बच्चों के जन्मदिन मनाएं
—✍️–एकता
अतिसुंदर भाव
जिस कुलदीपक और घर की लक्ष्मी के, खातिर मंदिरों में दिए जलाते हैं,हम नए फैशन में जलती हुई मोमबत्तीयां बुझवाते हैं,
आधुनिक समाज में विदेशी फैशन पर कटाक्ष करती हुयी कविता,बहुत सुंदर अभिव्यक्ति
Nice
Our cultural is very great but today in a modern age is ;_____
बहुत सुंदर भाव
सादर अभिनन्दन
पाश्चात्य sabhyata per vahan Karti Sundar Rachna