ऐ जाते हुए लम्हों…!!
ऐ जाते हुए लम्हों !
मुझको भी साथ में ले लो
तुम संग मैं भी मिल लूंगा
अतीत के मीठे सपनों से
खो जाऊंगा मैं फिर से
बिखरी-बिखरी जुल्फों में
उन खुशबू वाली सांसों में
एहसास अलग होता था
मैं भूल जाता था सबकुछ
जब पास में वह होता था
ऐ लम्हों जरा ठहरो !
चलने दो संग में अपने
जो अधूरे रह गये सपने
पूरे करने दो, संग चलने दो…
“ऐ जाते हुए लम्हों !मुझको भी साथ में ले लो तुम संग मैं भी मिल लूंगा
वाह , बेहद लाज़वाब अभिव्यक्ति
आपका बहुत बहुत आभार गीता जी
जो आप हमेशा मेरा हौसला बढ़ाती हो
अतिसुंदर भाव
आभार आपका सुंदर टिप्पणी हेतु