कभी तो बेवजह मुस्कुराओ
खुशियों को आने का मौका दो
कभी तो बेवजह मुस्कुराओ
यक़ीनन बहारें लौट आएँगी
तुम ज़रा धीमे से खिलखिलाओ
ढलती उम्र सी हर पल ये ज़िन्दगी
ज़र्रा ज़र्रा हाथ से फिसलती है ज़िन्दगी
सोचते क्यों हो मुस्कान के लिए
ये तो सुकून देगी यूँ विराम ना लगाओ
खुशियों को आने का मौका तो दो
बस कभी बेवजह ही मुस्कुराओ
मत चूकना किसी के होठों पर मुस्कान देने को
ज़िद छोड़कर अहम् तोड़कर
सबको गले लगाओ
वक़्त ठहरता नहीं किसी के लिए
तुम खुशनसीब होगे गर वक़्त पर
किसी के काम आओ
खुशियों को आने का मौका भी दो
कभी तो ज़रा बेवजह मुस्कुराओ
©अनीता शर्मा
अभिव्यक्ति बस दिल से
Nice
Shukriya 🙏🏼
आपने शब्दों को सहजता से प्रयोग किया है
Shukriya 🙏🏼
वेलकम
जर्रा जर्रा हाथ से फिसलती जिंदगी
वाह, अच्छा सा
जी शुक्रिया
कतरा कतरा छँट रहे हैं हम सभी
ज़िन्दगी समय की बंधक हो जैसे
अगर इंसान बेवजह मुस्कुराना सीख जाए तो मन में इतना बैर भाव क्यों लिए घूमे
बहुत सुंदर पंक्तियां