कविता
कविता- ज्योति पासवान
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आज लूटी है उस की ज्योति ,कल तेरी ज्योति लूट जाएगी|
आंख की ज्योति ,
घर की   ज्योति!
ज्योति चाहे जिसकी हो|
भारत मां को कहने वाले,
भारत माँ अब पुकार रही है|
कब तक लूटोगे दामन मेरे मेरे,
माँ दामन मे आसूं पोछ रही है|
पाला हू रख दामन मे तुम्हे,
दुनिया   मुझसे पूछ  रही है|
भारत माँ क्या औलाद तेरे है,
 कुछ घर के ज्योति छीन रहे हैं|
 क्या खता थी उसकी आज बता दो|
 मैं   मां  हूं बेटा     मुझसे कह    दो||
      यदि    हर    घर  में   ज्योति  नहीं|
      बिन ज्योति जग का तम दूर नहीं||
 सिसक सिसक कर रोती है|
 पकड़ के आंचल पूछ रही है||
       भारत  मां   बेटे     तेरे|
       खींच रहे क्यू पल्लू मेरे|
 कहे   ऋषि   अब   तो  सुधरो ,
 भारत माँ बिन बेटी हो जाएगी|
 आज की बेटी कल की  माँ है
 मिलके करो सम्मान सभी
 नहीं भारत मां की इज्जत लूट जाएगी||
✍✍✍✍✍✍✍✍✍✍✍
नाम-ऋषि कुमार “प्रभाकर ”
पता, ग्राम -पोस्ट खजुरी खुर्द, खजुरी
 थाना- तह. कोरांव
जिला-प्रयागराज, पिन कोड 212306
		
मेरे शब्द को दो बार नहीं बल्कि एक बार ही पढ़ा जाय🙏🙏
आपकी कविता तारीफ़ ए कबिल है । मगर कविता और गहड़ाई की जरुरत है।
सुझाव के लिए दिल से धन्यवाद
🙏🙏🙏🙏🙏🙏
भावपूर्ण , सुन्दर प्रस्तुति
सुन्दर
Nice Lines