खुल के प्यार करते हैं
हम आंखों से नहीं
मुख से बात करते हैं
जिसे चाहते हैं
खुल के प्यार करते हैं।
यह न समझो कि हम
इजहार नहीं करते हैं,
बड़ों के सामने
थोड़ा लिहाज करते हैं।
नुमाइश नहीं करते
सरे बाजार हम
बिठाकर दिल के भीतर
प्यार तुम्हें करते हैं।
हम आंखों से नहीं
मुख से बात करते हैं
जिसे चाहते हैं
खुल के प्यार करते हैं।
पूर्ण सौष्ठव लिए काव्य
अतिसुंदर भाव
सादर धन्यवाद जी
अत्यंत खूबसूरत कविता
Thank you ji
Very beautiful poem….. very nice.. speechless.
Salute sir.. 🙋
आपके द्वारा की गई समीक्षा और उत्साहवर्धन हेतु आभार व्यक्त करने को शब्द भी कम पड़ रहे हैं। आपकी समीक्षा शक्ति की जितनी तारीफ की जाए वह कम है। सादर अभिवादन गीता जी
Very nice
थैंक्स प्रज्ञा जी
वाह
धन्यवाद जी
बहुत बढ़िया
Thank you ji
Very nice lines
Thanks
बहुत सुंदर
बहुत बहुत धन्यवाद जी
बहुत ही सुन्दर
बहुत बहुत धन्यवाद
धन्यवाद जी