चलो ऐसा एक ज़हान बनाएं
चलो ऐसा एक ज़हान बनाएं,
जहां नहीं होगी ,
आदमी को आदमी से नफरत,
नेकी की राह, नेकी हो सबमें,
प्रेम हो सबसे, प्यार की हसरत,
कदर करता हो, जहां हर कोई ,
हर किसी के मान की,
कौन छोटा !कौन बड़ा!
बस उम्र बताएं,
हैसियत ना किसी को ,
बड़ा बनाएं,
मानवता जहां अपनी पहचान दिखाएं,
चलो ऐसा एक जहान बनाएं।
nice
Thank you
Very nice
Thank you ma’am
बहुत सुंदर विचार
अतिसुंदर पंक्तियां
हार्दिक धन्यवाद
Nice line
Thank you so much pragya ji
Atisunder kavita
हार्दिक धन्यवाद सर
बहुत उम्दा
बहुत बहुत आभार
बहोत सही सही लिखी है.