जवाँ सी जवाँ है
हवा आजकल कुछ जवाँ सी जवाँ है,
दिले धड़कनें भी जवाँ सी जवाँ है।
उदासी नहीं रख कहीं मन लगा ले,
अभी तो जवानी जवाँ सी जवाँ है।
अंधेरा तुझे रोक पाये कभी ना
खिली रोशनी जब जवाँ सी जवाँ है।
कि भार्या तुम्हारी, इसी भांति खुश हो,
मुहोब्ब्त तुम्हारी, जवाँ सी जवाँ है।
वाह सर वाह
वाह सर आपने सरसता का संचार कर दिया
बहुत सुंदर रचना पाण्डेय जी
बहुत सुंदर और सरस काव्य रचना है कवि सतीश जी की।
ज़िन्दगी की सच्चाइयों से रूबरू करवाती हुई बहुत सुंदर रचना
बहुत ही बढ़िया सर
अतिसुंदर