नदिया बहती है

कल कल कल कल
नदिया बहती है,
साफ स्वच्छ है पानी,
जी करता है खूब नहा लूँ,
मगर डर रही है रानी,
मन की रानी का डरना
मेरे मन में करता हैरानी।
पूछा तो कहती है वो
क्यों करते हो इतनी नादानी
मौसम बदल गया है लेकिन
अभी भी है ठंडा पानी।
भरी दोपहर भी गर होती
तब भी थोड़ा कहते हम,
मगर सुबह में ठंड बहुत है
छींटे से धो डालो गम।

Related Articles

प्यार अंधा होता है (Love Is Blind) सत्य पर आधारित Full Story

वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ। निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥ Anu Mehta’s Dairy About me परिचय (Introduction) नमस्‍कार दोस्‍तो, मेरा नाम अनु मेहता है। मैं…

दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34

जो तुम चिर प्रतीक्षित  सहचर  मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष  तुम्हे  होगा  निश्चय  ही प्रियकर  बात बताता हूँ। तुमसे  पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…

Responses

  1. कल कल कल कल
    नदिया बहती है,
    साफ स्वच्छ है पानी,
    जी करता है खूब नहा लूँ,
    ********वाह, प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण अति सुन्दर कविता, सुंदर शिल्प और भाव लिए हुए बहुत उम्दा रचना, सुन्दर प्रस्तुति

New Report

Close