निपटना होगा तुझे
निपटना होगा
विपरीत धारा से,
तैरना होगा
पार पाने तुझे।
घुमाना चाहेगा,
भंवर जब भी तुझे
समझ तत्काल तूने
खुद को संभालना होगा।
कष्ट सबकी
परीक्षा लेता है,
जो डरा वो
हार जाता है।
निडर होकर किया
संघर्ष जिसने
वही बस पार जाता है।
वाह अति सुंदर।
बहुत बहुत धन्यवाद
अतिसुंदर रचना
सादर धन्यवाद
निपटना होगा
विपरीत धारा से,
तैरना होगा
पार पाने तुझे।
……… संघर्ष के लिए प्रेरित करती हुई कवि सतीश जी की अति उत्तम और सटीक रचना… बहुत सुन्दर प्रस्तुति