पराई धरा
देख-देख कर,
आज के युवा-वर्ग को
सोचता है मन मेरा,
क्या कमी है देश में मेरे
जा बैठे दूर इतनी,
एक पराई धरा
कभी तो याद आती होगी,
स्वदेश की
कभी तो मन मचलता होगा,
निज देश आने को
फ़िर क्या है,
जो रोकता उन्हें
ना समझ पाया,
बावरा मन मेरा..
*****✍️गीता
Well said
Thank you mam
सही कहा
जब योग्य युवा अपनी कला का प्रदर्शन
दूसरे देशों में करेगा तो
उस देश की तरक्की होगी
इसलिए अपने देश में
ही रहकर अपना हुनर
दिखाकर रोटी कमानी
चाहिए
कविता की सुंदर और सटीक समीक्षा हेतु बहुत बहुत धन्यवाद प्रज्ञा जी
लाजवाब पंक्तियाँ, उम्दा कवित्त्व क्षमता
लाजवाब पंक्तियाँ, उम्दा कवित्व क्षमता
सुन्दर और प्रेरक समीक्षा हेतु आपका बहुत बहुत धन्यवाद सतीश जी।आभार
अति सुंदर रचना
धन्यवाद ऋषि जी
अतिसुंदर भाव
बहुत बहुत धन्यवाद भाई जी 🙏