मगर अभिमान मत करना
जरा सी भी तुम्हें
असली खुशी
गर आज मिल जाये।
पकड़ कर कैद कर लेना
मगर अभिमान मत करना,
उग रहा हो अगर सूरज
तो उगने दो, उगेगा ही,
उसे तुम देख गुस्से से
नयन कमजोर मत करना।
जरा सी भी तुम्हें
असली खुशी
गर आज मिल जाये।
पकड़ कर कैद कर लेना
मगर अभिमान मत करना,
उग रहा हो अगर सूरज
तो उगने दो, उगेगा ही,
उसे तुम देख गुस्से से
नयन कमजोर मत करना।
You must be logged in to post a comment.
Please confirm you want to block this member.
You will no longer be able to:
Please note: This action will also remove this member from your connections and send a report to the site admin. Please allow a few minutes for this process to complete.
वाह वाह सर, बहुत खूब
धन्यवाद जी
बेहतरीन सर👌👍👍
धन्यवाद सर
अतिसुन्दर
बहुत धन्यवाद जी
बहुत सुंदर लाजवाब👌👌
कवि सतीश जी ने अपनी कविता के माध्यम से बहुत ही सुन्दर सन्देश दिया है कि प्रगति की राह पर चलते चलते ऊंचाइयों पर पहुंचने पर अभिमान नहीं करना है क्योंकि फलों से लदा हुआ वृक्ष हमेशा झुका हुआ ही होता है और सीधे तने हुए तो ठूंठ ही होते हैं । बहुत सुंदर प्रस्तुति ।अभिवादन सर
🤔❤🙂👌✍✍✍
अतिसुंदर भाव
बहुत सुंदर कविता
बहुत सुंदर।
Nice, very nice, wow