मनमोहिनी

मेरी कल्पना में कहीं जो बसी है वो
मदमस्त थिरकती जो अपनी ही धुन में ,
फूलों सी महकती हर अदा में अभिव्यक्ति
मोहपाश में बांधे वो कजरारी निगाहें ,
हाँ तुम वही मेरी प्रियवंदिनी हो ,
हाँ तुम वही मेरी मनमोहिनी हो
क्या सुन्दर भंगिमाएं सभी तुम्हारी
हर सुर ताल पर ऐसे बन रही हैं
पुलकित मयूर नाच उठा हो कहीं जैसे
प्रेम रस ऐसे बरसा रही हो
हाँ तुम वही मेरी मनभावनी हो
हाँ तुम वही मेरी मनमोहिनी हो
वो ढ़ोल की हर थाप पर
हौले हौले से जब पग रखती हो
मतवाली उस चाल से अपनी
रग रग में प्राण भरती हो
हाँ तुम वही मेरी संजीवनी हो
हाँ तुम वही मेरी मनमोहिनी हो
वो कोमल हाथों से भाव व्यक्त करना
करती हो नयी उमंग का संचार
मन आनंदित हो झूम उठता है जैसे
पड़ने लगी हो सावन की फुहार
हाँ तुम मेरी कमलनयनी हो
हाँ तुम मेरी मनमोहिनी हो
©अनीता शर्मा
अभिव्यक्ति बस दिल से

Related Articles

दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34

जो तुम चिर प्रतीक्षित  सहचर  मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष  तुम्हे  होगा  निश्चय  ही प्रियकर  बात बताता हूँ। तुमसे  पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…

प्यार अंधा होता है (Love Is Blind) सत्य पर आधारित Full Story

वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ। निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥ Anu Mehta’s Dairy About me परिचय (Introduction) नमस्‍कार दोस्‍तो, मेरा नाम अनु मेहता है। मैं…

Responses

New Report

Close