माँ
ऊँगली पकड़कर तूने चलना सिखाया,
हमारे मन से तूने डर को मिटाया ।
जो चाहे वो सबकुछ लाके दिया,
बदले में हमसे कुछ नहीं माँगा ।
अपना दुःख तू सबसे छिपाती है,
ओ माँ ! तू हि मेरी संपत्ति है।
पेड़ कि तरह तूने छाया सी है,
छाया बनके तू हमेशा खदि है ।
ज़िन्दगी का पाठ तूने पढ़ाया ,
ओ माँ ! हमने तुझे बहुत सताया ।
तूने दिन रात काम किया ,
अपनी डान्त् में तूने प्यार को छिपाया ।
हमारे सुख में तू हस्ती है,
हमारे दुःख में तू रोती है,
ज़िन्दगी में हज़ारों पाठ सिखाने वाली सिर्फ माँ होती है ।
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