लुटे दिल में कहाँ दिये जलते हैं !!!
तारीफों जो पुल बांधते हो
अच्छें लगते हैं
बातों ही बातों में हँसा
देते हो
ये अंदाज अच्छे लगते हैं
यूं तो मोहब्बत हम भी
करते हैं
पर उसे सरेआम नहीं करते हैं
बुरे नहीं हैं तुम्हारे दिल के जज्बात
मगर
लुटे दिल में ओ साहिब !
दिये कहाँ जलते हैं ??
बहुत सुंदर रचना
Tq
आभार
अतिसुंदर
धन्यवाद
लुटे दिल में ओ साहिब !
दीये कहाँ जलते हैं ??
बहुत-बहुत धन्यवाद है
हृदय की वेदना को व्यक्त करते प्रोफेशनल कवि प्रज्ञा जी की रचना
Thank you so much