Categories: शेर-ओ-शायरी
Related Articles
हम क्या-क्या भूल गये
निकले हैं हम जो प्रगति पथ पर जड़ों को अपनी भूल गये मलमल के बिस्तरों में धँस के धरा की शीतलता भूल गये छूकर चलते…
दर्द का सिलसिलादर्द का सिलसिला
ना जाने यह दर्द का सिलसिला कब होगा ख़त्म, पहले रूह जलेगी या जिस्म होगा ख़त्म, न जाने यह दर्द का सिलसिला कब होगा खत्म.
मैं तुमको भूल जाऊंगा
पुरानी डायरियों से- **मैं तुमको भूल जाऊंगा** मेरी आंखों को ढलने दो मैं तुमको भूल जाऊंगा, मेरी सांसें निकलने दो मैं तुमको भूल जाऊंगा l…
कभी कभी, तुम राहें भूल कर…! (गीत )
कभी कभी, तुम राहें भूल कर……! (गीत ) कभी कभी, तुम राहें भूल कर, मेरी गलियों मे आया करो…. कभी कभी तुम ख़ुद को …
दोस्ती से ज्यादा
hello friends, कहने को तो प्रतिलिपि पर ये दूसरी कहानी है मेरी लेकिन सही मायनो मे ये मेरी पहली कहानी है क्योकि ये मेरे दिल…
Nice
थैंक्स फॉर यू
Nice
धन्यवाद
Wah
Thank u
Ok
Good good
वाह
थैंक्स
दो दो लाइन का क्या मज़ा है।
लगता है जैसे सब सजा है।।
प्रोत्साहन के लिये धन्यवाद