शीत के सबेरे में
शीत के सबेरे में ,
मित्रता की गर्माहट,
प्यार मोहब्बत के सूरज की,
सुनकर आहट ,
भावों के पंछी चहक उठते ।
अंगुलिया ठिठुर जाएँ ,
भावना उनींदी सी ,
प्यार के गरमागरम संदेश मगर लिखती हैं ।
– जानकी प्रसाद विवश
शीत के सबेरे में ,
मित्रता की गर्माहट,
प्यार मोहब्बत के सूरज की,
सुनकर आहट ,
भावों के पंछी चहक उठते ।
अंगुलिया ठिठुर जाएँ ,
भावना उनींदी सी ,
प्यार के गरमागरम संदेश मगर लिखती हैं ।
– जानकी प्रसाद विवश
You must be logged in to post a comment.
Please confirm you want to block this member.
You will no longer be able to:
Please note: This action will also remove this member from your connections and send a report to the site admin. Please allow a few minutes for this process to complete.
Nice
बेहतरिन है
Good