श्रमिकों पर फ़िर टूटा कहर
श्रमिकों पर फ़िर टूटा कहर,
चल दिए छोड़ कर शहर।
काम नहीं है क्या खाऍंगे,
यही सोच गाॅंव जाऍंगे।
क्या करें बेचारे मजदूर,
लाॅकडाउन में हुए मजबूर।
लाॅकडाउन भी जरूरी है,
इनकी भी मजबूरी है।
कोरोना ने मचाया कोहराम है,
इन्सान डर रहा इन्सान से,
मुश्किल में है ज़िन्दगी,
जीवन नहीं आसान है॥
_____✍गीता
Bahut sundar rachna
बहुत-बहुत धन्यवाद इंद्रा जी🙏
कोरोना ने मचाया कोहराम है,
इन्सान डर रहा इन्सान से,
मुश्किल में है ज़िन्दगी,
जीवन नहीं आसान है॥
—– यथार्थ पर आधारित बहुत ही सुन्दर पंक्तियाँ लिखी हैं आपने।
सुंदर और प्रेरक समीक्षा हेतु बहुत-बहुत धन्यवाद सतीश जी🙏