संग संग
जी चाहता है चाँद के संग संग मैं भी
चलूं। मगर सितारे कहते है क्या मैं उदास हो जाउँ।। सदियों से मैं संग संग रहा , वो दीया मैं बाती रहा ।
जब वो चमकता था तब मैं उसका इर्दगिर्द पहरेदार बना रहा ।।
अब तुम ही बताओ मैं कहाँ जाउं
इस बेरहम ज़माने में।
लाजवाब, बहुत खूब
आभार।
अति सुन्दर रचना
धन्यवाद
बहुत सुन्दर