सच्चाई लिखना सीखा है
तुमसे ही लिखना सीखा है
तुमसे से ही कहना सीखा है,
जो बात उगी भीतर के मन में
उसको ही कहना सीखा है।
सच्चाई तो सच्चाई है
सच पर ही चलना सीखा है,
झूठ से लड़ना सीखा है
सच पर ही मरना सीखा है।
धार कुंद कर लेखन की
बस लिखते रहना सीखा है,
तुमसे ही लिखना सीखा है
सच्चाई लिखना सीखा है।
सुन्दर
धन्यवाद जी
कब की उदारवादी सोच अभिव्यक्त करती रचना ह्रदय की कोमल भावनाओं को व्यक्त करती हुई सुंदर रचना