सुकूँ मिल रहा है
अब्सार आपके
समुन्दर हैं प्यार के,
सुकूँ मिल रहा है,
आपको निहार के।
प्रातः की बेला है
नई रोशनी है,
आप हो बगल में
और क्या कमी है।
सदा पास रहना
यूँ ही मुस्कुराना,
यही इक्तिजा है
यही कामना है।
अब्सार आपके
समुन्दर हैं प्यार के,
सुकूँ मिल रहा है,
आपको निहार के।
क्या बात है पांडेय जी, वाह
Thank you ji
बहुत खूब
Thanks ji
वाह वाह, सतीश जी ..उत्साह,उल्लास एवम् श्रृंगार रस से ओत-प्रोत अति सुन्दर काव्य रचना..।
सरपट दौड़ती लेखनी को मेरा नमस्कार, अभिवादन सर..।
आपके द्वारा की गई समीक्षा निश्चय ही उत्साहवर्धक है। आपको सादर नमस्कार, सादर आभार
बहुत खूब
सादर धन्यवाद जी
Very nice lines
Thank you जी
वाह वाह, बहुत खूब
Thanks जी
बहुत बढ़िया
Bahut dhanyawad