हम सुकून की तलाश में कितने दूर आ गए
हम सुकून की तलाश में
सुकून से दूर आ गए
हम चार पैसे कमाने
माँ-बाप से अपने दूर आ गए
जिम्मेदारियों का बोझा जो उठाया था उन्होंने
उस बोझे को हल्का करना चाह रहे
हम उनका सहारा बनने के खातिर
माँ-बाप से अपने दूर आ गए
जिसकी छाँव में बीता था बचपन
उस छाँव की छाँव हम बनने जा रहे
हम ठोकरों की धूप को खाने
माँ-बाप से अपने दूर आ गए
जिसकी लोरी से आती थी रातों को नींद
उस माँ की ममता को छोड़ के जा रहे
झोली उसकी खुशियों से भरने के खातिर
माँ-बाप से अपने दूर आ गए
उदास थे वो जब टपकता था छत से पानी
क्योंकि आसमान में घनघोर काले बादल छा गए
हम उनके सपनों का आशियाना बनाने
माँ-बाप से अपने दूर आ गए
हमको खिलाने को बर्गर और पिज़्ज़ा
वो कल की सूखी रोटियां खा रहे
हम उनकी ख्वाहिशों को पूरा करने के खातिर
माँ-बाप से अपने दूर आ गए
फटी बनियान और उधड़ी शर्ट पहनकर
हमें Levi’s की जैकेट पहना रहे
हम उनके शौकों को पूरा करने के खातिर
माँ-बाप से अपने दूर आ गए
हे ईश्वर तेरी लीला अलग है
हम तो अपने माँ-बाप की ख़ुशी चाह रहे
पर रोता हुआ छोड़कर हम ही उन्हें
क्यों माँ-बाप से अपने दूर आ गए??
Kalash
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