हो अदब बड़ों का
नींद तू रात को
सताना मत,
ऐसे सपनों को तू
दिखाना मत,
टूट कर गम मुझे
बहा जाये,
दर्द ऐसा हो जो
सहा जाये,
बोल ऐसा हो
जो मैं कह पाऊं,
रोल ऐसा हो
जो मैं कर पाऊं,
हो अदब बड़ों का
ऐसा कुछ,
उनकी नजरों से थोड़ा
भय खाऊँ,
ताकि गलती से पहले
थोड़ा सा,
बात समझूँ, जरा संभल जाऊँ।
वाह वाह बहुत ही उत्तम
Bahut sundar
अति सुंदर
JAY ram JEE ki
अपने बड़ों का सम्मान करना सिखाती हुई बहुत ही श्रेष्ठ रचना। उम्दा लेखन
अति उत्तम प्रस्तुति
अतिसुंदर भाव
नींद तू रात को
सताना मत,
ऐसे सपनों को तू
दिखाना मत,
टूट कर गम मुझे
बहा जाये,
दर्द ऐसा हो जो
सहा जाये,
बोल ऐसा हो
जो मैं कह पाऊं,
बड़ों का सम्मान करना सिखलाती हुई रचना