कि जनता आती है
भोली जनता को बहुत ठगा ,
सब ठग विद्या बिसरा देंगे।
झूठे वादे भी किए बहुत,
सच का आइना दिखा देंगे।
जनता ही मिलकर न्याय करे,
काले कारनामों की सुनवाई करें।
अपनी करनी जाने वह सब,
तब ही तो मिलकर एक हुए।
दुश्मनी भूल सब हुए खडे ,
बेशर्मी से अब भी है अडे।
भाषा भी उल जलूल हुई ,
घबराहट का यह आलम है।
नेताजी माफ करो,
कचरा सब साफ करो कि जनता आती हैं।
निमिषा सिंघल
आपकी कविता पढ़ कर दिनकर जी की याद आ गयी
Thanks dear
वाह बहुत सुंदर रचना
,😊😊
Nice
😍😍
Wahh
😀😀
😀😀
Nice
Wah
😃😃