गिद्ध दृष्टि
दु:शासन दुर्योधन की जोङी
कबतक गुल खिलाएगी
एक दिन चौसर की गोटी
खुद उनको नाच नचाएगी —
दिन बदलते ही जिनकी फितरत बदले
थोड़ी सी भी लाज नहीं,पलपल जिनकी हसरत बदले
लाभहानि के सौदे पे टिकी दोस्ती
कबतक खैर मनाएगी—–
सिंह के खाल में छिपा भेङिया
पंजा उंगली की नीति जिसने बनायी है
कभी अरूणाचल कभी लद्दाख तक
कैसी गिद्ध दृष्टि दौङाई है
नेपाल तिब्बत को कुतरने वाले,
भारत क्या भूटान तुझे सिखाएगा —
सुमन आर्या
बहुत खूब
कविता में पाकिस्तान और चीन की स्वार्थ भरी दोस्ती व गलत नीतियों इत्यादि को प्रतिकों एवं उपमानों की सहायता से बहुत ही सुंदर तरीके से प्रस्तुत किया गया है। बहुत ही सराहनीय
बहुत बहुत धन्यवाद
सुंदर और वास्तविक रचना👏👏
बहुत बहुत धन्यवाद
Waah
धन्यवाद
यथार्थ चित्रण…. बहुत सुंदर रचना
धन्यवाद
आप अपनी कविता में ऐसे विषय उठाते हैं जिन पर आजकल कवि नहीं लिखते।
नए नए विषयों पर लिखने की आपकी क्षमता आप को बेहतर बनाती है