मेरी प्यारी हिन्दी

जिसको बोल कर,
मन हो जाए प्रसन्न ,
ऐसी मेरी यह भाषा है ।

भाव को मेरे बना दे दर्पण ,
करती है शब्दों का समर्पण ,
ऐसी मेरी यह भाषा है।

जैसा चाहूं वो बोल-लिख पाऊं ,
हर वर्ण में इसकी क्षमता है।
बन गई जो अभिमान मेरा
ऐसी मेरी हिंदी भाषा है।

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Responses

  1. बहुत खूब, अपनी प्यारी हिंदी भाषा पर प्रकाश डालती हुई सुरम्य पंक्तियाँ, वाह, यही सनातन सत्य है कि कवि व्याकरण के पीछे नहीं चलेगा बल्कि व्याकरण कवि के पीछे चलेगा, सही दिशा है,

  2. बहुत खूब ,अपनी हिंदी भाषा के सम्मान के लिए ,मेरी ओर से आपका बहुत बहुत सम्मान🙏

    1. बिल्कुल सर! एकमात्र ऐसी भाषा जो जैसी बोली जाती है वैसी ही लिखी जाती है, हर शब्द ध्वनि के लिए उचित वर्णमाला है
      हिंदी के प्रति प्रेम भावना को दिखाने का एक छोटा सा प्रयास कविता के माध्यम से🙏

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