साजिशें
साजिशें भी थीं, सामने गुनहगार भी थे।
जवाब हमारे पास, तैयार भी थे।
हम चुप रह कर सब सहते रहे,
थोड़े नादान ही सही हम,मगर
थोड़े समझदार भी थे।
साजिशें भी थीं, सामने गुनहगार भी थे।
जवाब हमारे पास, तैयार भी थे।
हम चुप रह कर सब सहते रहे,
थोड़े नादान ही सही हम,मगर
थोड़े समझदार भी थे।
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अत्यंत सरल शब्दों में सच्ची बात सामने लाती हुई पंक्तियाँ, आपकी एक एक कविता स्तरीय है। वाह वाह
आप के मूल्यांकन पर खरा उतरना मेरे लिए गर्व की बात है, क्योंकि उच्च कोटि के कवि की प्रशंसा हर एक के नसीब में नहीं होती है। उत्साह – वर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार 🙏
सादर स्वागत
Very nice
Thank you ☺️🙏
सुन्दर अभिव्यक्ति
बहुत बहुत धन्यवाद
Very very very nice
Thank you very much Isha ji💐
बहुत बढ़िया
बहुत बहुत शुक्रिया जी 🙏
अतिसुंदर भाव
बहुत बहुत धन्यवाद आपका भाई जी 🙏
Oo
Very nice😊👏
Thanks for your pricious complement.it is really great.
वाह वाह
बहुत बहुत धन्यवाद सर 🙏
बहुत ही उम्दा
बहुत बहुत धन्यवाद पीयूष जी 🙏
Nice poem ji
Very much Thank you ji 🙏