Categories: हिन्दी-उर्दू कविता
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जो तुम चिर प्रतीक्षित सहचर मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष तुम्हे होगा निश्चय ही प्रियकर बात बताता हूँ। तुमसे पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…
अब उठ नौजवान
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सत्ता और सुन्दरी
सत्ता और सुन्दरी एक ही सिक्के के दो पहलू दोनों का चरित्र : दलबदलू इक- दूजे के बिना अधूरे दोनों प्रतिबध्द परस्पर पूरे आदमी के…
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मैं बस्तर हूँ
दुनियाँ का कोई कानून चलता नहीं। रौशनी का दिया कोई जलता नहीं। कोशिशें अमन की दफन हो गयी हर मुद्दे पे बंदूक चलन हो गयी॥…
बहुत अच्छी पंक्तियाँ
धन्यवाद जी
Very very nice
Thanks
अतिसुंदर भाव अतिसुंदर रचना
सादर धन्यवाद जी
टाइपिंग मिस्टेक हुई है – नीतियाँ होगा।
नीतियाँ धरातल तक पहुंचें
बेरोजगारी पर नया करो कुछ
यह सबसे प्रमुख मुद्दा है
इस मुद्दे पर किया करो कुछ।
देखो ! देश के नौजवान
कैसे सड़कों पर भटक रहे हैं,
रोजगार का संकट सिर पर
डिप्रेशन के निकट खड़े हैं।
जिम्मेदारी लेनी होगी
आज देश की सत्ता तुझको
ऐसी कोई नीति बनाकर
पीड़ मिटानी होगी तुझको।
बेरोजगारी के बारे में सुन्दर प्रस्तुति , यथार्थ चित्रण
सादर धन्यवाद जी
उच्चस्तरीय कविता तथा समाज को नया आयाम देने वाली आपकी सोंच को वन्दन करती है यह नाचीज प्रज्ञा..
बहुत बहुत धन्यवाद प्रज्ञा जी
बहुत सुंदर
धन्यवाद सर
बहुत सुन्दर
बहुत बहुत धन्यवाद