मुझको सो जाने दो जीवन !!
मुझको सो जाने दो जीवन
रात हुई अब बहुत घनी
नैनों से ओझल हैं सपनें
साँसों से भी ठनी-ठनी
आसमान बाँहें फैलाकर
मेरे स्वागत को आतुर है
धरती पर बस बोझ बनी हूँ
मिट्टी में मिल जाने दो
रो-रोकर धो दिए दाग हैं
मैंने सूखे अश्कों के
ओ तकिये ! मेरे आँसू पोंछो
तन्हाई मुझको जाने दो !!
मुझको सो जाने दो जीवन
मिट्टी में मिल जाने दो ||
रात को दिन में बदल दे
निराशा को उत्साह में बदल दे।
बहुत संवेदना युक्त पंक्तियाँ।
वाह
बहुत आभार भाई साहब
इतने अच्छे मार्गदर्शन के लिए
न हो उदास हमारी युवाशक्ति
कठिनाइयों से भिड़ जा
जीत पा बिंदास रह
ऐसे मत उदास रह।
रात के बाद सवेरा निश्चित
कदम चूमेगा
तेरे हिस्से का सुख
तेरे कदमो को चूमेगा।
इन पंक्तियों के साथ काव्य प्रतिभा को सैल्यूट
इतनी सुन्दर समीक्षा
लिखने के लिए प्रेरित करती हैं
Agreed with satish ji
नारी हो निराशा नहीं,
टूटे ना तेरी आशा कहीं।
निशा है तो ,नव- प्रभात भी आएगा
तेरी जीत का सुखद संदेशा लाएगा।
मेरी दुआएं हैं ये बहना,
याद रखना मेरा ये कहना।
आभार दी
अतिसुंदर
Thanks
बहुत खूब
Thanks
बेहतरीन
Tq
निराशा भी जीवन का हिस्सा है मगर कहीं ना कहीं तो दबी हुई है आशा भी
उस आशा (उम्मीद) को हिम्मत दीजिए फिर वही उम्मीद आपको हिम्मत देगी
जीवन के रूखेपन में फैली निराशा को बहुत ही सुंदर तरीके से प्रस्तुत किया गया है अति सुंदर रचना
बहुत धन्यवाद