भावों की जननी है हिन्दी
भावों की जननी हिंदी है,
मां है अपने धाम की।
कोरोना काल में हाय, हैलो, छूटा ,
जय हुई अपने प्रणाम की ।
हिंदी में अपने भाव रचे ,
हिंदी ही अधरों पर सजे ।
हिंदी में खेला बचपन सारा
खेले, कूदे और बढ़े,
युवा होकर हिंदी में ही,
प्रेम प्रीत के पाठ पढ़े ।
हिंदी से समझा भावों को,
हिंदी ने धोया घावों को,
हिंदी माथे की बिंदी है ,
जो भारत की पहचान बनी,
हिंदी से सब सुखी हुए हम,
हिंदी है हिंदुस्तान की वंदनी
जय हिंद जय हिन्दी
धन्यवाद भाई जी ।
हिंदी दिवस की बहुत बहुत बधाई
हिंदी माथे की बिंदी है ,
जो भारत की पहचान बनी,
बहुत ही बिंदास तरीके से मातृभाषा हिंदी पर कविता प्रस्तुत की है। बहुत खूब, बहुत सुंदर। हिंदी दिवस की हार्दिक शुभकामना
ख़ूबसूरत समीक्षा हेतु आपका हार्दिक धन्यवाद सतीश जी🙏
आपको भी हिंदी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं ।
बहुत अच्छी कविता
बहुत शुक्रिया जी 🙏
True
Thanks dear pragya
अतिसुंदर
बहुत बहुत धन्यवाद प्रतिमा जी
Very Nice Poem
बहुत बहुत धन्यवाद सर सादर आभार 🙏
वाह वाह
धन्यवाद जी 🙏
waah waah, bahut sundar
बहुत बहुत धन्यवाद आपका इंदु जी🙏