ओस की बूंदें

ऐ दोस्त, आंख से ओस की बूंदें न गिराना ,
हम देखना चाहें फ़कत तेरा मुस्कुराना ,
अश्क आएं तो कह देना उनसे..
यहां तो है किसी और का ठिकाना

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Responses

  1. लाजवाब करती बेहतरीन पंक्तियाँ। भावों की इस गहराई को सैल्यूट है। बहुत सुंदर अभिव्यक्ति।

    1. सुन्दर समीक्षा के लिए आपका बहुत बहुत शुक्रिया सतीश जी।
      आप बहुत प्रेरणादायक समीक्षा करते हैं। अभिवादन🙏

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