चलो हार पर जीत पाने की सोचो (भुजंगप्रयात छंद में)
भरा दर्द है सब तरफ याद रखना
सभी दर्द में हैं मगर याद रखना,
भुला कर गमों को खुशी खोजना बस,
तभी जिन्दगी में मिलेगा मधुर रस।
न चिन्ता में रहना अधिक आप ऐसे,
सदा मस्त रहना बच्चों के जैसे,
चिन्ता तो केवल रोगों का घर है,
चिन्ता से खुद को जलाना न ऐसे।
हावी न हो पाएं गम कोई खुद पर,
मनोबल रहे उच्च, कोई नहीं डर,
चलो हार पर जीत पाने की सोचो,
गमों को उड़ा दो, खुशी को ही खोजो।
—— (भुजंगप्रयात छंद में)
———— सतीश चंद्र पाण्डेय
“हावी न हो पाएं गम कोई खुद पर, मनोबल रहे उच्च, कोई नहीं डर,चलो हार पर जीत पाने की सोचो, गमों को उड़ा दो, खुशी को ही खोजो”
जीवन के सकारात्मक दृष्टिकोण को व्यक्त करती हुई कवि सतीश जी की बहुत ही सुन्दर और प्रेरक रचना । लाजवाब अभिव्यक्ति
बहुत बहुत धन्यवाद, आभार
सर, मैं आपकी रचना पर निःशब्द हूँ ।
सादर धन्यवाद जी
अतिसुंदर भाव
भरा दर्द है सब तरफ याद रखना
सभी दर्द में हैं मगर याद रखना,
भुला कर गमों को खुशी खोजना बस,
तभी जिन्दगी में मिलेगा मधुर रस।
जीवन से हार मानकर
थककर, निराश होकर
बैठे मनुष्य को जीवन पथ पर अग्रसर होने की प्रेरणा देती रचना…