तुलसी विवाह की कथा
एक श्राप के कारण,
शालिग्राम बने नारायण
लक्ष्मी माँ ने फ़िर,
अवतार लिया तुलसी का
कार्तिक की एकादशी को,
विवाह-बंधन में बंधे दोबारा
मेहंदी, महावर,बिंदी चूड़ी आदि
सुहाग श्रृंगार होता है,
तुलसी माँ का
लाल चुनर ओढ़ाई जाती,
दीप जलाकर करें वन्दना
हलवा-पूरी का भोग लगाकर
आशीष लिया जाए,तुलसी माँ का
*****✍️गीता
तुलसी विवाह कथा का कविता रूप में सुन्दर वर्णन
बहुत बहुत धन्यवाद सतीश जी
बिल्कुल सही लक्ष्मी जी के श्राप से विष्णु जी शालिग्राम बने और तुलसी माता बनकर उनका मिलन हुआ…
इसीलिए विष्णु जी को तुलसी दल अति प्रिय है
समीक्षा हेतु आपका हार्दिक धन्यवाद प्रज्ञा जी
अतिसुंदर रचना
बहुत बहुत धन्यवाद भाई जी 🙏